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सूरदास

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सूरदास

परिशिष्ट

पदों में आये मुख्य कथा-प्रसंग

वामनावतार

 

भगवान् नारायण ने मोहिनी-रूप धारण करके समुद्रसे निकला अमृत देवताओंको ही पिला
दिया | दैत्योंको अमृत नहीं मिला | इससे क्रुद्ध होकर दैत्योंने देवताओंसे युद्ध
छेड़ दिया | युद्धमें देवता विजयी हुए | किंतु शुक्राचार्यने युद्धमें मारे गये
दैत्योंको जीवित कर दिया | दैत्यराज बलि ने थोड़े ही दिनोंमें अपनी सेवामें आचार्य
शुक्रको प्रसन्न कर लिया | शुक्राचार्यकी कृपासे बलिको यज्ञकुण्डसे निकला रथ, दिव्य
धनुष तथा अस्त्र-शस्त्र मिले | उन्होंने दैत्योंको साथ लेकर फिर स्वर्गपर चढ़ाई की
देवता उनकी अजेय शक्ति देखकर स्वर्ग छोड़कर भाग गये, किंतु स्वर्गका राज्य तो सौ
सौ अश्वमेध-यज्ञ करनेवाला ही स्थायी रूप से कर सकता है | शुक्राचार्य इस नियमको
जानते थे | उन्होंने बलिको पृथ्वीपर लाकर नर्मदा किनारे अश्वमेध-यज्ञ प्रारम्भ
कराया | निन्यानबे-अश्वमेध-यज्ञ बलिके निर्विघ्न पूरे हो गये |
उधर देवमाता अदिति अपने पुत्र देवताओंकी पराजयसे बहुत दुःखी थीं |उन्होंने अपने पति
महर्षि कश्यपसे इस दुःख को दूर करने की प्रार्थना की | कश्यपजीने उन्हें भगवानकी
आराधनासे प्रसन्न होकर भगवान् नारायणने उन्हें दर्शन दिया और उनके पुत्र होकर प्रकट
होनेका वरदान भी |
भगवान् वामनरूपमें अदितिके पुत्र होकर प्रकट हुए | वहाँसे वे बलिकी यज्ञशालामें
पधारे | उस समय बलि सौवाँ अश्वमेध-यज्ञ कर रहे थे | बलिने परम तेजस्वी वामनजीका
स्वागत तथा पूजन किया और उनसे जो चाहे माँगनेको कहा | वामन भगवान् ने अपने पैरोंसे
तीन पैर पृथ्वी माँगी | यद्यपि शुक्राचार्यने बलिको भूमि देनेसे मना किया और बतला
दिया कि इस रूपमें साक्षात् विष्णु ही तुम्हें छलने आये हैं, किंतु सत्यवादी बलिने
वामनको भूमि देनेका संकल्प कर ही दिया |
भगवान् वामनने तत्काल विराट्‌रूप प्रकट किया | पूरी पृथ्वी उनके एक पदमें नप गयी |
दूसरे पदसे उन्होंने स्वर्ग तथा ऊपरके सब लोक नाप लिये | उस समय भगवान् का वह पद
ब्रह्मलोकतक जा पहुँचा | ब्रह्माजीने उसी चरण को धोकर अपने कमण्डलुमें रख लिया |भगवान् का वही चरणोदक
गंगाजीके रूपमें पीछे पृथ्वीपर आया |
बलिने तीसरे पैरके लिये स्थान न देखकर अपना मस्तक आगे कर दिया | भगवान् ने उसके
मस्तक पर तीसरा पैर रखा | इस प्रकार छलसे बलिका सब राज्य लेकर वामन भगवान् ने
इन्द्रको दे दिया | भगवान् की आज्ञासे दैत्योंके साथ बलि सुतल-लोक चले गये |

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217