Saurabh Kumar  astrologer spiritual healer writer poet

 

`बेड ऑफ डेथ’ से

सौरभ कुमार

Founder of brandbharat.com

 

`बेड ऑफ डेथ’ से

किसी अस्पताल के बेड पर
रोग से हारते
भीड़ से घिरे
मौत की आहट भी
ठीक से सुनायी नहीं देती।
वे दृष्य भी आँखों के सामने
नहीं आते जैसे किसी होरी को आये थे।
आदमी अपनी हीं मौत से
पहचान भी नहीं बना पाता।
मृत्यु का आकर भी चला जाना
ऐसा हीं होता है जैसे
पूरी होली बीत जाए और आदमी
रंग से जरा भी नहीं भींग पाये
और सूखा का सूखा रह जाए।
क्या होता है
जब अपने हीं बिस्तर के अपनेपन में
बिना मृत्यु के जीवन का साक्षात हो जाए।
अश्रु जीवन के गाल पर ढ़लक जाए।
जहाँ प्रेम की परिभाषा
प्रेम के प्रतिदान से ना होती हो।
जब प्रेम साँचे में निर्मित सीमा से
बँधा ना रह खुल जाए।
स्वस्थ चित्त से उपजा प्रेम
प्रेम सबके लिए होता है
जो स्वार्थ और बलिदान
की परिधि में हीं नहीं झूलता
जीवन की परिभाषा का हीं तत्व हो जाता है।

 

  सौरभ कुमार का साहित्य  

 

 

 

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