(1905-1990 ई.)
रामकुमार वर्मा का जन्म मध्यप्रदेश के सागर जिले में हुआ। प्रयाग से हिंदी में एम.ए. तथा नागपुर से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। प्रयाग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर वर्षों तक आसीन रहे। रामकुमार वर्मा एकांकीकार, आलोचक और कवि हैं। इनके काव्य में रहस्यवाद और छायावाद की झलक है। मुख्य काव्य संग्रह हैं- 'अंजलि, 'हिमहास, 'निशीथ, 'जौहर तथा 'चित्तौड की चिंता। उपन्यास 'चित्ररेखा पर इन्हें देव पुरस्कार एवं एकांकी संग्रह पर अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन पुरस्कार मिला। इनको भारत सरकार द्वारा 'पद्मभूषण अलंकरण से विभूषित किया गया।
फूलवाली
फूल-सी हो फूलवाली।
किस सुमन की सांस तुमने
आज अनजाने चुरा ली!
जब प्रभा की रेख दिनकर ने
गगन के बीच खींची।
तब तुम्हीं ने भर मधुर
मुस्कान कलियां सरस सींची,
किंतु दो दिन के सुमन से,
कौन-सी यह प्रीति पाली?
प्रिय तुम्हारे रूप में
सुख के छिपे संकेत क्यों हैं?
और चितवन में उलझते,
प्रश्न सब समवेत क्यों हैं?
मैं करूं स्वागत तुम्हारा,
भूलकर जग की प्रणाली।
तुम सजीली हो, सजाती हो
सुहासिनि, ये लताएं
क्यों न कोकिल कण्ठ
मधु ॠतु में, तुम्हारे गीत गाएं!
जब कि मैंने यह छटा,
अपने हृदय के बीच पा ली!
फूल सी हो फूलवाली।
किरण कण
एक दीपक किरण-कण हूँ।
धूम्र जिसके क्रोड में है, उस अनल का हाथ साथ हूँ मैं
नव प्रभा लेकर चला हूँ, पर जलन के साथ हूँ मैं
सिध्दि पाकर भी, तुम्हारी साधना का ज्वलित क्षण हूँ।
एक दीपक किरण-कण हूँ।
व्योम के उर में, अपार भरा हुआ है जो अंधेरा
और जिसने विश्व को, दो बार क्या, सौ बार घेरा
उस तिमिर का नाश करने के लिए, मैं अटल प्रण हूँ।
एक दीपक किरण-कण हूँ।
शलभ को अमरत्व देकर, प्रेम पर मरना सिखाया
सूर्य का संदेश लेकर, रात्रि के उर में समाया
पर तुम्हारा स्नेह खोकर भी, तुम्हारी ही शरण हूँ।
एक दीपक किरण-कण हूँ।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217