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कबीरदास साहित्य Kabir Das sahitya

कबीरदास साहित्य Kabir Das sahitya

गुरुदेव का अंग

राम-नाम कै पटंतरै, देबे कौं कछु नाहिं |
क्या ले गुर संतोषिए, हौंस रही मन माहिं ||1||
भावार्थ - सद्गुरु ने मुझे राम का नाम पकड़ा दिया है | मेरे पास ऐसा क्या है उस
सममोल का, जो गुरु को दूँ ?क्या लेकर सन्तोष करूँ उनका ?
मन की अभिलाषा मन में ही रह गयी कि, क्या दक्षिणा चढ़ाऊँ ?
वैसी वस्तु कहाँ से लाऊँ ?


सतगुरु लई कमांण करि, बाहण लागा तीर |
एक जु बाह्या प्रीति सूं, भीतरि रह्या शरीर ||2||
भावार्थ - सदगुरु ने कमान हाथ में ले ली, और शब्द के तीर वे लगे चलाने |
एक तीर तो बड़ी प्रीति से ऐसा चला दिया लक्ष्य बनाकर कि,
मेरे भीतर ही वह बिंध गया, बाहर निकलने का नहीं अब |


सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपगार |
लोचन अनंत उघाड़िया, अनंत-दिखावणहार ||3||
भावार्थ - अन्त नहीं सद्गुरु की महिमा का, और अन्त नहीं उनके किये उपकारों का ,
मेरे अनन्त लोचन खोल दिये, जिनसे निरन्तर मैं अनन्त को देख रहा हूँ |

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217