Dr Amit Kumar Sharma

लेखक -डा० अमित कुमार शर्मा
समाजशास्त्र विभाग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली - 110067

हनुमान

हनुमान

 

कलि काल के प्रमुख देवता के रूप में हनुमान जी को स्थापित करने में समर्थ रामदास और तुलसीदास की प्रमुख भूमिका रही है। तुलसीदास के अनुसार इनकी माता का नाम अंजनि और पिता का नाम केसरि था। ये भगवान् शंकर के रूद्र रूप के अवतार माने जाते हैं। इनको सीता माता ने वरदान के रूप में अष्ट सिध्दि और नव-निधि का स्वामित्व प्रदान किया था। हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने पर आठ प्रकार की सिध्दियां मिलती हैं और नौ प्रकार की संपत्तियां मिलती हैं। ये रोगों के नाश करते हैं तथा दर्द एवं भय भगाने वाले देवता हैं। इनकी कृपा मिलने पर सुख, शांति, संतोष एवं ऐश्वर्य मिलता है। हनुमान चालीसा के सात बार प्रतिदिन पाठ करने पर दुनिया के हर संकट से छुटकारा मिलती है। समर्थ रामदास ने हनुमान मंदिरों को गर्भ-गृह से बाहर किसी भी सड़क , चौहारा, अखाड़ा या खाट पर स्थापित करने की परम्परा डाली और उनकी पूजा विधि को सरल बनाया ताकि विधर्मी लोग उनके मंदिरों को तोड़ने की कोशिश न करे इसलिए असंख्य हनुमान मंदिरों की स्थापना करवायी और घर-घर में राम नवमीं के दिन महावीर पताका की स्थापना करवाया। सर्वप्रिय, सर्वमान्य और सर्वहितकारी लोकदेवता हैं हनुमान। हमारा तन उतना नहीं थकता, जितना मन थकता है। मन का नियंत्रन करने के लिए प्राणायाम एक वैज्ञानिक क्रिया है। प्राण वायु (सांस) का नियंत्रन करने में हनुमान जी मददगार हैं। हनुमान जी प्राण यानी वायु के देवता हैं। श्री हनुमान चालीसा के साथ प्राणायाम करने का विधान है। सांस के नियंत्रण से मन विश्राम की मुद्रा में आ जाता है और मन में शांति बनी रहती है। हनुमान जी पंच तत्वों (प्रथ्वी, अग्नि, जल, आकाश और वायु)   में वायु के देवता हैं वायु तत्व का तन और मन पर सबसे ज्यादा प्रभाव रहता है।

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