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शकीला की माँ अमृतलाल नागर

शकीला की माँ अमृतलाल नागर

केले और अमरूद के तीन-चार पेड़ों से घिरा कच्चा आँगन। नवाबी युग की याद में मर्सिया पढ़ती हुई तीन-चार कोठरियाँ। एक में जमीलन, दूसरी में जमलिया, तीसरी में शकीला, शहजादी, मुहम्मदी। वह ‘उजड़े पर वालों’ के ठहरने की सराय थी। एक दिन जमीलन की लड़की शकीला, दो घण्टे में अपनी मौसी के यहाँ से लौट आने की बात कह, किसी के साथ कहीं चल दी। इस पर घर में चख-चख और तोबा-तोबा मचा, उसे देखने में लोगों को बड़ा मजा आया। दिन-भर बाजार के मनचले दुकानदारों की जबान पर शकीला की ही चर्चा रही और, तीसरे दिन सबेरे, आश्चर्य-सी वह लौट भी आई।

लोगों ने देखा-कानों में लाल-हरे रंग नग-जड़े सोने के झुमके, ‘धनुशबानी’ रंग की चुनरी, गोटा टंका रेशमी कुरता और लहंगा। घर की चौखट पर पैर रखते ही पहले-पहल, मुहम्मदी ने थोड़ा मुस्कराकर, उसकी ठोड़ी को अपनी उँगलियों की चुटकी से दबाते हुए पूछा, ‘‘ओ-हो-री झंको बीबी, दो दिन कहाँ रही ?’’

शकीला केवल मुस्कराकर आगे बढ़ गई।

झब्बन मियां की दाढ़ी में कितने बाल हैं, अथवा उनकी नुमायशी तोंद का वज़न कितना है, यह तो आपको शहज़ादी ही बता सकेगी। हां, उनका सिन इस समय पचास-पचपन के करीब होगा, यह आसानी से जाना जा सकता है। एक दिन जब आप खुदा के नूर में खिजाब लगाकर शकीला से हंस-हंसकर कुछ फरमा रहे थे, तब शहज़ादी ने उनके जवान दिल पर कितनी बार थूका था, मुहम्मदी उसकी गवाह है।

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217