Home Page

States of India

Hindi Literature

Religion in India

Articles

Art and Culture

 

सूरदास

X-heading

सूरदास

परिशिष्ट

पदों में आये मुख्य कथा-प्रसंग

श्रीकृष्ण-चरित

उधर जब तक कंसका भेजा केशी भी श्रीकृष्णके हाथों मारा गया , तब कंसने अक्रूर को
बलराम-श्यामको मथुरा बुलाने भेजा | दोनों भाई मथुरा आये | पहले ही दिन श्रीकृष्ण
चन्द्रने कंसके धोबीको मार दिया, उसके धनुषको तोड़ दिया | दूसरे दिन अखाड़े के
द्वार पर कुवलयापीड़ हाथीको मारकर दोनों भाई अखाड़े में प्रविष्ठ हुए | बलरामजीसे
मल्लयुद्धमें मुष्टिक और श्यामके द्वारा चाणूर मारा गया | श्रीकृष्णने ऊँचे मञ्चपर
बैठे बकवाद करते कंसके केश पकड़कर उसे नीचे पटककर मार दिया | मथुराका राज्य
फिर उग्रसेनको मिला | वसुदेव-देवकी अपने पुत्रोंको पाकर आनन्दमग्न हो गये |
श्याम-बलरामने उज्जैन जाकर साँदीपनि ऋषिसे शिक्षा प्राप्त की और समुद्रमें डूबकर
मरे हुए उनके पुत्रको यमलोकसे लाकर गुरुदक्षिणामें दिया | अपने जामाता कंसके मारे
जानेसे रुष्ट मगधराज जरासंध बार-बार मथुरापर आक्रमण कर रहा था | सत्रह बार
पराजित हुआ; किंतु अठारहवीं बार नरनाट्य करते श्रीकृष्णचन्द्र उसके सामनेसे भाग
खड़े हुए | मथुरा सूनी पड़ी थी | समुद्रमें द्वारिका बसाकर मथुराके लोगोंको वहाँ
पहले ही लीलामय भेज चुके थे | जरासंध से पहले ही आकर कालयवन मारा जा चुका
था | जरासंध अपनेको विजयी मानकर भले लौटे, उसके हाथ लगना कुछ नहीं था |
द्वारिका पहुँचने पर ब्रह्माजी के आदेश से महाराज रैवत ने अपनी पुत्री रेवतीका
विवाह बलरामजी से कर दिया और श्रीकृष्णचन्द्र के विवाहोंका क्रम प्रारम्भ हो गया |
जरासन्ध आदि शिशुपालके सहायकोंका मान-मर्दन करके वे रुक्मिणीको हर लाये |
सत्राजित् ने स्वयं अपनी पुत्री सत्यभामाका उनसे विवाह कर दिया | क्योंकि सूर्य से
प्राप्त स्यन्तक मणिके हरणका जो झूठा कलंक उसने श्रीकृष्ण पर लगाया था, उस दोषका
मार्जन करने के लिये वह उन्हें अपना जामाता बना लेने के लिये को उत्सुक था | जाम्ब
वतीजी तो इस स्यमन्तक-प्रसंगका उपहार ही थीं | स्यमन्तक खोज में जाने पर सत्राजित्
का भाई सिंह द्वारा मारा गया - यह खोज मिली, सिंह आगे मरा पड़ा मिला और उसे
मारने वालेकी खोज करते श्रीकृष्णचन्द्र ऋक्षराज जाम्बवन्त की गुफामें पहुँच गये |
पहले तो जामवन्तजी ने आक्रमण ही कर दिया | पेड़, पत्थर और वे न रहे तो घूसोंसे
ही युद्ध चलता रहा, अविराम रात-दिन पूरे अट्ठाईस दिन | किंतु अन्त में जाम्बवन्तजी
का शरीर पिस-सा उठा | अपने आराध्यको उन्होंने पहचान लिया | क्षमा माँगी और अपनी
पुत्री जाम्बवती भेंट कर दी |
इस संग्रहके पदोंमें यहींतकके चरितोंकी कहीं-कहीं चर्चा हुई है | पूरा श्रीकृष्ण-
चरित तो यहाँ देना कठिन ही है | जाम्बवतीजीके अतिरक्त कालिन्दी,मित्रविन्दा, भद्रा,
लक्ष्मणा तथा सत्या--ये मुख्य पटरानियाँ उनकी थीं | भौमासुरको मारकर उसके यहाँ
से सोलह सहस्त्र राजकुमारियोंका उन्होंने उद्धार किया | उनका भी पाणिग्रहण करना
आवश्यक ही था, इसके बिना उनका उद्धार कुछ अर्थ ही नहीं रखता !
दन्तवक्त्र , विदूरथ, पौण्ड्रक, शाल्व, द्विविद आदि असुरोंसे पृथ्वीका भार दूर करने
के लिये ही जिसका अवतार हुआ था, वे असुरोका संहार तो करते ही | कुछका उन्होंने
किया, कुछका उनके बड़े भैयाने | महाभारत का संग्राम उनकी भू-भार-हरणकी क्रीड़ा
ही तो थी | अपार तथा अचिन्त्य हैं उन लीलामयके चरित |
--------------------------------------------------------------------------------   
इतिश्री

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217