(जन्म 1911 ई.)
आरसी प्रसाद सिंह का जन्म दरभंगा जिले के एरौत ग्राम में हुआ। इन्होंने खगडिया में अध्यापन कार्य किया, तत्पश्चात् वर्षों तक आकाशवाणी की सेवा की। इनके प्रकृति-चित्रण सूक्ष्म, चित्रात्मक तथा सुंदर हैं। शैली आलंकारिक तथा प्रभावशाली है। मुख्य काव्य-संग्रह हैं : 'कलापी, 'संचयिता, 'आरसी, 'पंच पल्लव तथा 'खोटा सिक्का।
जीवन
चलता है, तो चल ऑंधी-सा; बढता जा आगे -!
जलना है, तो जल फूसों-सा; जीवन में करता धू-धू!
क्षणभर ही ऑंधी रहती है; आग फूस की भी क्षणभर
किन्तु उसी क्षण में हो जाता जीवन-मय भू से अम्बर!
मलयानिल-सा मंद-मंद मृदु चलना भी क्या चलना है?
ओदी लकडी-सा तिल-तिल कर जलना भी क्या जलना है?
वसंत-विलास
आज, नव मधु का प्रात
आज रे मधु का पुलकित प्रात;
अरुण-सस्मित, नत-भाल!
स्फीत मुक्ता-सा, मुख-जलजात;
लाज से लोहित गाल!
प्राण, आया विस्मय-अवदात;
सजल, चम्पक-सा गात!
माधुरी-अधरों पर मुस्कान;
कुतूहल-कलित कपोल!
पुष्प-परिमल-पीतस परिधान;
विलोचन उत्सुक लोल!
उतरता सुरधनु-सा रुचिमान;
स्वयं ही निज उपमान!
उमड बह, छू असीम का छोर,
हिला किरणों का हार;
चला विपुला वसुधा को बोर
लालिमा-पारावार!
नलिन-पुलिनों में भृंग अपार
कर रहे कुंज-कुंज गुंजार!
मलय-मारुत में रुक, झुक-झूम,
विजन-वन-वल्लरियाँ सुकुमार;
मुखर कर देतीं धीरे चूम
शिथिल ऊर्वी के उर के तार!
स्पर्श से खिल उठती तत्काल,
नवल ॠतुपति की किसलय-डाल!
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217