सतर्कता विभाग, बिहार सरकार का परिचय
(Introduction of Vigilance Department)
निगरानी विभाग प्रारंभ में राजनीति (सामान्य) विभाग के अंग के रूप में व्याप्त भ्रष्टाचार उन्मूलन संबंधी कार्यों का निष्पादन करता था। वर्ष 1946 से इसे भ्रष्टाचार निरोध विभाग के नाम से जाना जाता था। कालान्तर में इसका नामकरण मंत्रिमंडल (निगरानी) विभाग करते हुए इसे मंत्रिमंडल (समन्वय) विभाग के अन्तर्गत रखा गया। सम्प्रति निगरानी विभाग एक स्वतंत्र विभाग के रूप में कार्यरत है। इस विभाग का मुख्य उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था को भ्रष्टाचार एवं कदाचार से मुक्त करना है। राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सकारात्मक एवं निरोधात्मक निगरानी रखने हेतु वर्तमान निगरानी प्रणालियों को सक्षम, कारगर, संवेदनशील एवं गतिशील बनाना ही इस विभाग का मुख्य उद्देश्य है।
पूर्व में इस विभाग का मुख्यालय 12-ए, बेली रोड स्थित सरकारी क्वार्टर में था। माह अक्टूबर, 2006 में इसे बेली रोड स्थित नव-निर्मित सूचना भवन के चतुर्थ मंजिल पर स्थानान्तरित किया गया।
निगरानी सचिवालय के अधीन निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, तकनीकी परीक्षक कोषांग एवं विद्युत निगरानी पर्षद पूर्व से कार्यरत है। सरकार ने ट्रैप केसेज में गति लाने एवं प्रत्यानुपातिक धनार्जन के मामले में शीघ्र उद्भेदन के उद्देश्य से केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के सेवा निवृत पदाधिकारियों को कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर एक वर्ष के लिए नियुक्त कर एक विशेष (निगरानी) इकाई का गठन किया है।
प्रधान सचिव निगरानी, निगरानी से संबंधित मामलों के लिए सरकार के सभी विभागों पर उसी प्रकार नियंत्रण रखते हैं जैसा कि विकास संबंधी मामलों में विकास आयुक्त एवं वित्तीय मामले में वित्त विभाग करता है। निगरानी जाँच के आधार पर प्रशासी विभाग को अनुशासनात्मक कार्रवाई कर दंड देने का अधिकार है, साथ ही जिसमें अपराधिक मामले दर्ज किये गए हैं उसके अभियोजन की स्वीकृति भी प्रशासनिक विभाग देता है।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217